December 17, 2025

Crime Off News

News Portal

हिमालयी राज्यों में तैयार होगी आपदा प्रबंधन की नई नीति, सीएम कल करेंगे शुभारंभ

 नैनीताल : जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के बीच आपदा प्रबंधन की नई राष्ट्रीय नीति में आपदा की पूर्व चेतावनी, तैयारी राहत-बचाव कार्य के बाद आपदा प्रभावित इलाकों में पुनर्निमाण को शामिल कर लिया गया है। उत्तराखंड समेत 11 हिमालयी राज्यों में आपदा प्रबंधन नई नीति से किए जाने का खाका नैनीताल में खींचा जाएगा।

विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों के सुझाव इसमें शामिल किए जाएंगे। नैनीताल में इसको लेकर 20-21 अक्टूबर को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन स्थान,गृह नई दिल्ली व डा आरएस टाेलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में रिडक्सिंग रिस्क एंड बिल्डिंग री-साइलेंस:पर्वतीय राज्यों में क्षमता विकास विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

कार्यशाला में देशभर के ढाई सौ प्रतिभागियों ने शामिल होने की सहमति प्रदान कर दी है। कार्यशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जबकि समापन केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट करेंगे। कार्यशाला की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं।

मंगलवार को एटीआइ सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में महानिदेशक बीपी पांडे, संयुक्त निदेशक प्रकाश चंद्र, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, के नोडल अधिकारी प्रो संतोष कुमार, एडीएम शिवचरण द्विवेदी ने बताया कि कार्यशाला में उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, आसाम, मिजोरम,त्रिपुरा, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लगभग 400 आ सकते हैं।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पर्वतीय राज्यों की संवेदनशीलता को देखते हुए अवस्थापना सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण, भूकंप अवरोधी भवन निर्माण करना,आपदाओं के जोखिम को न्यून करने नीति एवं कार्यक्रम विकसित करना, खोज एवं बचाव दलों को कौशलपूर्ण बनाना है। यही नहीं नैनीताल एटीआइ में भारत के उत्तरी पर्वतीय राज्यों का सेंटर आफ एक्सीलेंस बनाना है।

प्रो संतोष कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा प्रबंधन का जो नया एजेंडा लागू किया है, उसके अनुसार नीति में बदलाव कर 15 वें वित्त आयोग में रिस्पांस फंड का प्रावधान किया गया है। आपदा प्रबंधन को जनांदोलन बनाया जाना है। पहाड़ व मैदान के लिए अलग-अलग आपदा प्रबंधन तंत्र विकसित होना है।

कार्यशाला में प्रसिद्ध पर्यावरणविद पद्मश्री चंडी प्रसाद भट्ट, पर्यावरणविद् ओपी मिश्रा, पूर्व अपर मुख्य वन संरक्षक,एके सिंह, पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पाण्डे समेत अनेक राष्ट्रीय संस्थानों, विश्व बैंक के अधिकारी, विषय विशेषज्ञ, शोधार्थी व छात्र-छात्राएं शामिल होंगे।

news

You may have missed