देहरादून। पांच साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व मंत्री यशपाल आर्य की घर वापसी के बाद अब सबकी निगाहें कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत पर टिकी हैं। रावत भी मार्च 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे। पार्टी में राजनीतिक हलचल के बीच हरक ने मंगलवार को फिर एलान किया कि उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है। सियासी गलियारों में इसे उनका राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है।
उधर, हरक सिंह रावत ने कोटद्वार से लौटते समय हरिद्वार में भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक से मुलाकात भी की। माना जा रहा कि इस दौरान उनके बीच मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चर्चा हुई।
हरक ने कहा कि वह पार्टी के सभी नेताओं से कह चुके हैं कि अब उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक वह छह बार विधायक, कई बार मंत्री रह चुके हैं। साथ ही जोड़ा, ‘माना कि चुनाव लड़ना पड़ा तो आप कहेंगे कि धारी मां की कसम बेकार चली गई। कई बार आदमी संकल्प लेता है और मन भी होता है। कई बार ऐसा होता है कि मन की नहीं होती।’
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में भी चर्चा होने लगी और इसके कई निहितार्थ निकाले जाने लगे।
दरअसल, अपने बेबाक बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत विभिन्न मामलों में अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में उन्होंने कई निर्णयों पर अंगुली उठाई थी। प्रदेश सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के दौरान भी हरक सिंह ने नाराजगी व्यक्त की थी। अब जबकि सियासी उठापठक का दौर चल रहा है तो इसके बीच हरक के बयान को उनके नए राजनीतिक दांव के तौर पर भी देखा जा रहा है।

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